भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर द्वारा दिनांक 4 मई से 07 मई 2017 के दौरान शोध और शिक्षा में उत्कृष्टता सम्मलेन (सी ई आर ई) के आठवें सम्मलेन की मेजबानी की गई | सम्मलेन की विषयवस्तु “सेलेब्रेटिंग फिफ्टीथ इयर्स ऑफ़ कंटिनजेंसी थ्योरी” था | वर्ष 2017 शताब्दी की प्रबंधन से संबंधित की बेहद प्रभावी पुस्तकों की पचासवीं सालगिरह मना रहा है, इन पुस्तकों के नाम है – “आर्गनाईजेशन इन एक्शन : सोशल साइंस बेसेज़ ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेटिव थ्योरी” लेखक जेम्स डी थामसन; “आर्गनाईजेशन एंड एनवायरनमेंट” लेखक पॉल आर लॉरेन्स एंड जे डब्ल्यू लॉर्श एवं “ए थ्योरी ऑफ़ लीडरशिप इफेक्टिवनेस” लेखक फ्रेड फीडलर |
चार दिवसीय इस सम्मलेन में 90 से अधिक पेपर प्रस्तुत किये गए, तीन कार्यशालाएं और मुख्य उद्बोधन आयोजित किये गए | शोध विद्वानों, संकाय एवं प्रबंध विद्यार्थियों सहित 150 से अधिक प्रतिभागियों ने इस सम्मेलन के लिए पंजीकरण कराया |
सम्मलेन का प्रथम दिन संयुक्त राज्य अमेरिका के ड्यूक विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर रिचर्ड बर्टन एवं प्रोफ़ेसर एमेरिटस के इंटरएक्टिव सत्र के साथ आरम्भ हुआ | यह सत्र प्रबंधन, शिक्षा शास्त्र, शोध प्रैक्टिसेज़ एवं शिक्षा में भविष्य के इर्द-गिर्द केन्द्रित रहा | प्रोफ़ेसर बर्टन ने एम बी ए स्नातको को अपने पढ़ाने के अनुभव साझा करते हुए चुनौतियों, शोध प्रबंध और प्रैक्टिस के बीच के अंतराल एवं कैसे इसे मिटाया जा सकता है, पर चर्चा की | दो सम्मलेन- पूर्व कार्यशालाओं का आयोजन भी किया गया पहली कार्यशाला ‘ इंटरवेंशन इन रिसर्च ‘ विषय पर प्रोफ़ेसर मनोज मोटियानी, संकाय भा प्र संस्थान इंदौर द्वारा एवं दूसरी कार्यशाला प्रोफ़ेसर एन के शर्मा, आई आई टी कानपुर द्वारा आयोजित की गई | उनका विषय ‘एक्सपेरिमेंटल डिज़ाइन’ था |
सम्मलेन का औपचारिक उद्घाटन 05 मई 2017 को प्रोफ़ेसर पुलक घोष, संकाय आई आई एम बेंगलुरु एवं प्रोफेसर ऋषिकेश टी कृष्णन, निदेशक आई आई एम इंदौर की उपस्थिति में हुआ |
प्रोफेसर कृष्णन ने अपने उद्बोधन में शोध के महत्व के विषय में चर्चा करते हुए बताया कि किस प्रकार नए विचारों को शोध में लाया जा सकता है | उन्होंने प्रबंध सिद्धांत और प्रैक्टिस के बीच सदाबहार (एवरग्रीन) वादविवादों के विषय में परिचर्चा की |
इसके उपरांत पहला मुख्य उद्बोधन प्रोफ़ेसर पुलक घोष,संकाय आई आई एम बेंगलुरु द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसमें उन्होंने “हाउ बिग डाटा इज़ चेंजिंग मैनेजमेंट रिसर्च’ विषय पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया | बिग डाटा की क्षमता के विषय में उन्होंने बताया कि इसे चार V में नापा जा सकता है वाल्यूम , वेलोसिटी, वैरायटी एवं वेरासिटी | तदुपरांत उन्होंने शोध हेतु डाटा संग्रह के समय विभिन्न चुनौतियों के बारे में बताते हुए कहा कि कैसे शोध प्रश्न एक विद्वान को हिमशैल की नोक से आंकड़ों के इस्तेमाल करने के बजाय विवरण प्राप्त होते हैं |
अन्य मुख्य उद्बोधन संयुक्त राज्य अमेरिका के ड्यूक विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर रिचर्ड बर्टन के द्वारा दिया गया | उनके प्रस्तुतीकरण का विषय – “थ्री ग्रेट बुक्स ऑफ़ 1967’ था | जिनमें प्रबंधन की बेहद प्रभावी पुस्तकों पर चर्चा की गई | इन पुस्तकों के नाम है – “आर्गनाईजेशन इन एक्शन:सोशल साइंस बेसेज़ ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेटिव थ्योरी” लेखक जेम्स डी थामसन; “आर्गनाईजेशन एंड एनवायरनमेंट” लेखक पॉल आर लॉरेन्स एंड जे डब्ल्यू लॉर्श एवं “ए थ्योरी ऑफ़ लीडरशिप इफेक्टिवनेस” लेखक फ्रेड फीडलर | ‘कंटिनजेंसी थ्योरी’ के भविष्य के विषय पर चर्चा से उन्होंने अपनी वार्ता समाप्त की |
सम्मलेन के तीसरे दिन का मुख्य उद्बोधन प्रोफ़ेसर राजेन्द्र श्रीवास्तव, आई एस बी हैदराबाद के द्वारा दिया गया| उनका विषय था- ‘चैलेन्जेस इन एजुकेशन एंड रिसर्च इन कॉन्टेक्स्ट ऑफ़ इमर्जिंग मार्केट्स’ | उनकी वार्ता का केंद्र वर्तमान कारोबार के सन्दर्भ में प्रबंध शोध की प्रासंगिकता और उभरते बाज़ारों पर ध्यान देने की कमी के इर्द-गिर्द था | सम्मलेन की अंतिम कार्यशाला प्रोफ़ेसर रामाधार सिंह, अहमदाबाद विश्वविद्यालय द्वारा – साइंस एंड साइंटिफिक राइटिंग’ विषय पर आयोजित की गई| कार्यशाला में शैक्षणिक शोध लेखन में क्या करें और क्या नहीं विषय पर अंतर्दृष्टि उपलब्ध कराई गई |
सम्मलेन के अंतिम दिन डॉक्टरल कॉलाकियम के पश्चात विदाई समारोह आयोजित किया गया | इस अवसर पर प्रोफ़ेसर कमल के जैन संकायाध्यक्ष (अकादमिक) आई आई एम इंदौर और प्रोफ़ेसर पट्टूराजा सेल्वाराज अध्यक्ष एफ पी एम आई आई एम इंदौर अतिथि के रूप में उपस्थित थे | प्रोफ़ेसर जैन ने शोध में विभिन्न कुप्रथाओं और इनके प्रभावों पर चर्चा की | उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल वितरण के बारे में ही नहीं है, वरन शिक्षा सीखने के बारे में ही है एवं इस सम्मेलन का उद्देश्य भी यही है |
इसके बाद प्रतिभागियों ने अपने विचार रखे और बताया कि इस सम्मलेन द्वारा उनके ज्ञान एवं शोध कौशल में सार्थक वृद्धि हुई है |
तदुपरांत सर्वोत्तम पेपर पुरस्कार की उद्घोषणा हुई | सेरे (सी ई आर ई) सलाहकार समिति जिसमें आई आई एम इंदौर के पांच संकाय सदस्य शामिल थे द्वारा सर्वोत्तम पेपर का चयन मौलिकता, पद्धति की कठोरता और साहित्य में योगदान और उद्योग की प्रासंगिकता के आधार पर किया गया | विजेता को प्रमाण पत्र और रु. 30,000 का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया | सर्वोत्तम पुरस्कार निम्नानुसार तीन श्रेणियों में प्रदान किये गए:
- जनरल ट्रैक - आई आई एम बेंगलुरु के सास्वत पात्रा एवं मलय भट्टाचार्य को विषय- ‘फर्स्ट पैसेज टाइम प्रोबबिलिटीज़ फॉर पिअरसन डिफ्यूज़न प्रोसेस विथ एप्लीकेशन टू ऑप्शन्स’
- कंटिन्जेंसी ट्रैक- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के हरप्रीत सिंह बेदी के पेपर को विषय- ‘ए कंटिन्जेंसी एप्रोच टू एन्त्रेप्रेन्युरिअल ओरिएंटेशन –बिज़नेस परफॉरमेंस रिलेशनशिप’
- डॉक्टरल कॉलाकियम के लिए सर्वोत्तम पेपर पुरस्कार – श्रीराम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से सोनल ठाकुर को उनके विषय – ‘फाइनेंसिंग पैटर्न ऑफ़ आउटवर्ड फ़ॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट बाय इंडियन मल्टीनेशनल एंटरप्राइजेज़’ |
सम्मलेन की समन्वयक सुश्री श्वेता गुप्ता द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया गया | सम्मलेन का समापन प्रतिभागियों के बीच अतिउत्साह के साथ हुआ जिन्हें बेहतर शोध और प्रकाशन के लिए कौशल सीखने का अवसर प्राप्त हुआ |