वर्षा की हलकी फुहारों के बीच आईआईएम इंदौर ने पूरी देशभक्ति की भावनाओं के साथ 71वां स्वतंत्रता दिवस मनाया. कार्यक्रम का शुभारम्भ परंपरागत तरीके से ध्वजारोहण और राष्ट्र गीत के साथ किया गया . इसके उपरान्त संसथान के निदेशक, प्रोफेसर ऋषिकेश कृष्णन ने स्वंत्रता दिवस की बधाइयों के साथ अपना उद्गोषण आरम्भ किया . उन्होंने कहा कि पुनः एक बार समय आ गया है कि हम देश के उन महान वीर सपूतों को श्रद्धा पूर्वक याद करें, जिन्होंने सत्तर वर्ष पूर्व अंग्रेजी शासन से हमें आज़ाद कराने में महान योगदान दिया | उनका आभार व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम उनके तथा अपने सपनों के भारत का निर्माण करने का प्रयत्न करें।
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह आईआईएम इंदौर ने भारत छोड़ो आंदोलन की पचहत्तरवीं वर्षगाँठ मनाई | इस आन्दोलन ने देश की आज़ादी के संघर्ष को अंतिम रूप प्रदान किया | इस अवसर पर संस्थान ने यह संकल्प लिया कि अगले पांच वर्षों के दौरान देश जिन महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है उसके समाधान हेतु तीव्र प्रयास करेंगे |
प्रोफेसर कृष्णन ने आग्रह किया कि हम सोचें कि कैसे हम अपने व्यक्तिगत प्रयासों द्वारा अगले कुछ वर्षों में देश के विकास में मौलिक परिवर्तन ला सकते हैं | इस काम को शुरू करने के लिए हमारी कर्मभूमि ही सर्वोत्तम स्थान है | इसका अर्थ यह हुआ कि हममें से प्रत्येक यह संकल्प ले कि हम जो भी कार्य करें उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दें| उत्कृष्टता ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए, उन्होंने कहा |
नेशनल इंस्टिट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क में एक संस्थान के रूप में आईआईएम इंदौर पिछले दो वर्षो से लगातार दसवीं रैंक पर हैं | हमारा उद्देश्य अगले पांच वर्षों में शीर्ष पांच में स्थान बनाने का होना चाहिए, प्रोफेसर कृष्णन ने बताया .
इन संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग आईआईएम इंदौर के विभिन्न समूहों में विभिन्न पप्रयासों की ओर संकेत करता है | संकाय के लिए इसका अर्थ अनुसंधान, शिक्षण, प्रशिक्षण, आउटरीच एवं प्रशासन में उत्कृष्टता का प्रयास करना है | स्टाफ के लिए इसका अर्थ प्रत्येक संक्रिया में चाहे वह छात्रावास, संपदा, अकादमिक कार्यक्रम या प्रशासनिक या समर्थन के प्रकार्य हों प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्टता लाना है | विद्यार्थियों के लिए इसका अर्थ है कि अकादमिक कार्यक्रमों, स्पोर्ट्स, बाह्य प्रतियोगिताओं, अनुसंधान या किसी भी अन्य गतिविधि से कोई समझौता न करना है, ऐसा प्रोफेसर कृष्णन ने कहा .
प्रोफेसर कृष्णन ने बताया कि हमें केवल अपने लाभ के लिए ही नही, बल्कि समुदाय और समाज के लाभ के लिए भी अपने ज्ञान का उपयोग करना चाहिए | हमने कुछ साल पहले संस्थान के आसपास के चार सरकारी स्कूलों को गोद लिया था . क्या हम यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि जाति, भाषा, धर्म , क्षेत्र , लिंग, विकलांगता या यौनअभिविन्यास के आधार पर कोई भेदभाव न हो और न ही दूसरों को ऐसा करने दें, ऐसा प्रोफेसर कृष्णन ने सवाल किया .
दीर्घायु और खुश रहने के बारे में बात करते हुए प्रोफेसर कृष्णन ने कहा कि हम सोच सकते हैं कि इसका तरीका सिर्फ नाम, प्रसिद्धि और पैसे से संबंधित है परन्तु दीर्घायु और खुश रहने की महत्वपूर्ण जो खोज एक अध्ययन से पता चली है वह है लोगों के साथ प्रगाढ़ संबंधों को बनाए रखने की क्षमता विशेषकर जब आप युवा होते हैं |
इसलिए हम दूसरों के साथ व्यक्तिगत संबंधों के निर्माण में और अधिक अच्छा प्रयास कर सकते हैं | प्रोफेसर कृष्णन ने अपने आस पास के व्यक्तियों के साथ मजबूत संबंधों के लिए अपने समय में से थोड़ा अधिक निवेश करने का संकल्प लेने का आग्रह किया .
प्रोफेसर कृष्णन ने सभी को कहा कि उत्कृष्टता प्राप्ति हेतु , आप जो भी कार्य करें, उसके लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें | अपने ज्ञान/जानकारी, विशेषज्ञता को साझा करें, अपने आसपास के समाज के विकास के लिए सक्रिय रूप से अपना योगदान दें और दूसरों के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए अधिक समय दें, ताकि हम अपने संस्थापक पितामहों के सपनों के भारत का निर्माण कर सकें |
कार्यक्रम का समपान जलपान के साथ हुआ .