विभिन्न प्रबंधन संकायों के कैरियर के विकास के लिए पांच सप्ताह के विशेष पाठ्यक्रम 'संकाय विकास कार्यक्रम' (एफडीपी) के नौवें संस्करण का उद्घाटन 24 अप्रैल 2017 को आईआईएम इंदौर में हुआ |
प्रोफ़ेसर पी डी जोस, संकाय आई आई एम बेंगलोर उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि थे | प्रोफ़ेसर दिब्याद्युती रॉय, संकाय आई आई एम इंदौर ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया | उन्होंने कार्यक्रम के लिए पंजीकृत सभी 50 प्रतिभागियों का उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि उन्हें बच्चे की भाँति जिज्ञासु प्रवृत्ति का रहना चाहिए एवं इस कार्यक्रम से अधिक से अधिक ग्रहण करना चाहिए | उदघाटन समारोह का आरम्भ मुख्य अतिथि एवं प्रोफ़ेसर ऋषिकेश टी कृष्णन, निदेशक आई आई एम इंदौर द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ|
प्रोफेसर कृष्णन ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा के बारे में संकाय की कमी और उनकी गुणवत्ता जैसे विषय हमेशा चर्चा में रहते हैं। 'संसाधनों की कमी अक्सर रहती है, लेकिन हम इस कार्यक्रम में अपने समय का निवेश कर इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकते हैं । उन्होंने आगे कहा कि एफडीपी अनुसंधान और सीखने के कौशल पर अधिक केंद्रित है और पाठ्यक्रम को संकाय के कौशल में सुधार और संवर्द्धित करने हेतु संरचित किया गया है, ।
प्रोफेसर पी.डी. जोस द्वारा ‘लर्निंग रीइमेजिंड....अगली शताब्दी के लिए’ विषय पर विचार प्रस्तुत किये गए । उनकी वार्ता का केंद्र सघन ऑनलाइन कोर्स एवं शैक्षिक जगत में किस प्रकार परिवर्तन हो रहे हैं | 20 वीं शताब्दी के सीखने के मॉडल के बारे में चर्चा करते हुए, उन्होंने वर्णित किया कि किस प्रकार सीखने और शिक्षण के पैटर्न बदल गए हैं। वर्तमान में शिक्षा मात्र सूचना प्रदान करना ही नहीं है | चूंकि हम ऐसे विश्व में रहते हैं जहां सूचना मुफ्त में उपलब्ध है | आज शिक्षण निष्क्रिय रहने की अपेक्षा प्रायोगिकता में तबदील हो चुका है जिसमे पाठ्य पुस्तकें. इन्टरनेट, सामाजिक मीडिया, दृश्य श्रव्य इत्यादि भी शामिल हैं | इसके बाद उन्होंने वैश्वीकरण जैसे बदलते परिदृश्य के बारे में चर्चा की- जिसमें कड़े घरेलू और अंतरराष्ट्रीय छात्र और संकाय बाजार की प्रतिस्पर्द्धा ; शिक्षाविदों, छात्रों और शैक्षिक ब्रांडों की व्यापक वैश्विक गतिशीलता पर अपने विचार प्रस्तुत किए |
21 वीं सदी में सीखने के बारे में बताते हुए प्रोफेसर जोस ने कहा कि यदि हमें यह समझ नहीं आ रहा है कि छात्रों को क्या सीखना है और क्यों सीखना है हम अध्यापन नहीं कर सकते हैं | 'आज का विद्यार्थी डिजिटल मास्टर है, जो कि व्यक्तिगत शिक्षा की तलाश कर रहा है और हमेशा नए दृश्य (विज़ुअल) अनुभवों की तलाश करता है । उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2012-2017 से एमओओसीएस (मूक्स) की संख्या में सार्थक वृद्धि हुई है। इसलिए, संकाय के निष्पादन (प्रदर्शन) का निर्णय सिर्फ स्कूल द्वारा ही नहीं किया जा सकता वरन पूरे शैक्षिक ब्रह्मांड द्वारा किया जाता है, जहां प्रत्येक छात्र इंटरनेट द्वारा एमओओसीएस (मूक्स) के माध्यम से भी सीख सकता है।
उन्होंने अपनी बात यह कहते हुए समाप्त की कि भविष्य में पढ़ाई व्यक्तिगत, सामाजिक और स्वामित्व आधारित, सहयोगी, साझेदारी द्वारा संचालित होगी | इनके साथ विरासत और ब्रांड भी महत्वपूर्ण होगा इससे उद्यमियों और नए व्यापारिक मॉडल की नई श्रेणी तैयार करने में मदद मिलेगी।
इसके उपरान्त प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन किया गया।