अंगदान से संबंधित मिथकों को स्पष्ट करने और कैसे अंग प्रत्यारोपण ज़रूरतमंदों की मदद कर सकता है, ‘अंगदान के महत्व’ विषय पर 24 जुलाई, 2017 को आईआईएम इंदौर में एक कार्यशाला आयोजित की गई । इस कार्यशाला का आयोजन चोईथराम अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, इंदौर के डॉक्टरों एवं सोसाइटी ऑफ ऑर्गन डोनेशन के सहयोग द्वारा किया गया | गैस्ट्रोएन्टरोलॉजी विभाग से डॉ. अजय कुमार जैन, हेड, लिवर प्रत्यारोपण और निदेशक, चोईथराम अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, इंदौर कार्यशाला के वक्ता थे ।
डॉ. जैन ने वार्ता का आरम्भ अंगदान क्या है बताते हुए किया और वर्तमान परिदृश्य कितना महत्वपूर्ण है | उन्होंने बताया कि बहुत सारे मरीज (दस लाख) कॉर्नियल प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा कर रहे है , इसी प्रकार किडनी, लिवर. ह्रदय, एवं फेंफडे प्रत्यारोपण के लिए क्रमशः 2.2 लाख ,1.0 लाख , 0.5 लाख एवं 0.2 लाख मरीज प्रतीक्षा सूची में हैं | डॉ. जैन ने अंग प्रत्यारोपण के इतिहास के विषय में चर्चा करते हुए बताया कि पहला कॉर्नियल प्रत्यारोपण
ऑस्ट्रिया में 1905 में एडवर्ड जर्म नेत्रविज्ञानी द्वारा किया गया था, जानकारी और जागरूकता के अभाव की वज़ह से आज भी दस लाख मरीज कॉर्नियल प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा में हैं | अंग प्रत्यारोपण न हो पाने के कारण 6000 व्यक्तियों की मौत प्रतिदिन हो जाती है अर्थात हर सत्रहवें मिनट में एक व्यक्ति की मौत होती है |
वर्तमान अंगदान की दर भारत में 0.05 प्रति मिलियन जनसंख्या प्रतिवर्ष है | यदि यह बढ़कर 1 प्रति मिलियन हों जाए तो हमारे पास 1100 अंगदाता होंगे मतलब 2200 किडनी, 1100 लिवर. 1000 ह्रदय, एवं 2200 आँखें इस हेतु उपलब्ध होंगी डॉ जैन ने उल्लेख किया |
डा. जैन ने जीवित व्यक्ति और शव से अंग प्रत्यारोपण के अंतर को स्पष्ट किया और कहा कि जीवित व्यक्ति द्वारा किए अंगदान में रक्त और किडनी या यकृत के एक हिस्से को प्रत्यारोपित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यदि व्यक्ति अपने शरीर का (बॉडी) दान करता है तो 10-15 चिकित्सा विद्यार्थी लाभान्वित होते हैं | ‘हालांकि एक व्यक्ति के अंगदान से करीब 50 व्यक्तियों को लाभ पहुंचता है’ डा. जैन ने उल्लेख किया |
उन्होंने बताया कि इंदौर द्वारा भी इस क्षेत्र में प्रभावी योगदान किया गया है, 11 ह्रदय, 20 लिवर, 38 किडनी और 100 से अधिक कोर्निअल एवं स्किन प्रत्यारोपण में इंदौर की प्रमुख भूमिका रही है | ‘अंगों की कमी एक संकट है और हर संकट का एक हल होता है | हमें इस संबंध में एक नेटवर्क बनाने और अंगदान संबंधी विशेषज्ञताओं एवं संसाधनों को साझा करने की आवश्यकता है | क्षेत्रीय अंगदान समन्वयक फोरम स्थापित करना, सहयोगी परियोजनाओं को साझा करना और इन कार्यक्रमों में पारदर्शिता रखना समय की आवश्यकता है |’ कहते हुए उन्होंने अपनी वार्ता का समापन किया |
कार्यशाला के उपरांत ज्ञानवर्धक प्रश्नोत्तर सत्र हुआ |