आईआईएम इंदौर में 1 सितंबर से 14 सितंबर 2015 तक हिंदी पखवाड़ा मनाया गया । पखवाड़े के दौरान हिंदी निबंध लेखन , वाद विवाद , हिंदी रचनात्मक लेखन और कविता पाठ आदि प्रतियोगिताएं आयोजित की गई, जिसमे संस्थान के ८० कर्मचारियों और शिक्षकों ने भाग लिया। पुरस्कार वितरण समारोह श्री कल्पेश याज्ञनिक, समूह संपादक, दैनिक भास्कर के मुख्य आतिथ्य में 14 सितंबर 2015 को आयोजित किया गया ।
मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कर्नल के. टी. उडुप्पा ने स्वागत भाषण दिया और प्रोफेसर गणेश कुमार, डीन अकादमिक ने श्री याग्निक का स्वागत किया।
प्रोफेसर स्वतंत्र, संकाय सदस्य, आईआईएम इंदौर ने स्वागत भाषण करते हुए कहा कि श्री याग्निक ने अपने लंबे कैरियर के दौरान भारत और विदेशों के विभिन्न मुद्दों को कवर किया है, जिसमे लाहौर में भुखमरी से होने वाली मौत, भारत पाकिस्तान के राजनयिक संबंध, कश्मीर घाटी में आतंकवाद तथा अन्य कई सामाजिक विषय शामिल है ।
संस्थान के युवा छात्रों के साथ बातचीत के दौरान श्री याग्निक ने एक पत्रकार होने के नाते अपने निजी अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि हिन्दी एक भाषा है जो आजादी का पर्याय है । यह वह भाषा है जो हमे अनुकूलता का एहसास कराती है । बचपन में पढाये गए नियमों को व्यक्ति अपने पूरे जीवन के लिए याद रखता हैं । हम हिंदी बोलते हैं फिर भी हम इसके व्याकरण पर ध्यान देना नहीं चाहते है। हमे स्कूल या कॉलेजों में भाषाओं की बुनियादी बातों को बहुत ध्यान से पढ़ने की आवश्यकता है तभी हम कुछ बड़ा प्राप्त कर सकते हैं । उन्होंने अपनी चीन यात्रा के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि अब चीनी लोग केवल अंग्रेजी ही नहीं बल्कि हिंदी भी सीख रहे हैं। आप नया सीखने और पुराने के संरक्षण के बिना एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के खिलाफ जब भी चलते हैं, तो आप सब कुछ खो सकते हैं। पेरिस फैशन की राजधानी है लेकिन पेरिस का कुछ हिस्सा ऐसा भी है जिसे सिर्फ केवल फ्रेंच तक ही सीमित ही रखा है और अन्य भाषाओ को नहीं अपनाया गया | यही कारण है कि आज भी यह पेरिस का एक हिस्सा तो है, परन्तु आधुनिकता से दूर है ।
श्री याज्ञनिक ने कहा कि भावना किसी भी भाषा का एक प्रमुख हिस्सा है । वाल्मीकि और तुलसीदास की रामायण के बीच में यह अंतर है कि तुलसीदास के रामायण में रावण की मृत्यु के दौरान भावनाओं को प्रमुखता के साथ बताया गया है । भाषा में भावनाओं का प्रयोग करने से एक जुड़ाव उत्पन्न होता है । यह हमे भावुक बना सकता हैं, जो कि भाषा का एक मजबूत एवं शक्तिशाली पक्ष हैं और इसका असर एक लंबे समय के लिए रहता हैं।
इस अवसर पर श्री याज्ञनिक ने श्री अविक सिन्हा रिसर्च स्कॉलर आईआईएम इंदौर द्वारा लिखित एक पुस्तक का विमोचन किया।
कार्यक्रम के अंत में श्री याग्निक ने सभी विजेताओं एवं हिंदी पखवाड़े में भाग लेने के लिए प्रतिभागियों को बधाई दी। धन्यवाद ज्ञापन हिंदी अधिकारी द्वारा दिया गया।
विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं के नाम इस प्रकार हैं:
क्रमांक | प्रतियोगिता | प्रथम पुरस्कार | द्वितीय पुरस्कार | तृतीय पुरस्कार |
1. | हिंदी निबंध लेखन | प्रीति शर्मा | अनिमेष सिंह चौहान | मनीष कुमार नामदेव |
2. | टिप्पण लेखन | प्रदीप कुमार शर्मा | – | – |
3. | वाद विवाद | अनन्या मिश्रा | पूजा शर्मा (सांत्वना) | – |
4. | हिंदी रचनात्मक लेखन | – | के पी राधाकृष्णन (सांत्वना) | – |