- 400 प्रतिभागी हुए ऑनलाइन कांफ्रेंस में शामिल
- 180 पेपर प्रेजेंटेशन होंगे
- पहली बार दिया जाएगा 'अनुसंधान उत्कृष्टता के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड'
- कांफ्रेंस के पहले दिन एक पैनल डिस्कशन व चार वर्कशॉप हुई आयोजित
आईआईएम इंदौर की अनुसंधान और शिक्षा में उत्कृष्टता पर कांफ्रेंस (सीईआरई/सैरी/CERE)की शुरुआत 18 जून, 2021 को ऑनलाइन मोड में हुई। तीन दिवसीय इस कांफ्रेंस का विषय 'मैनेजमेंट मेटामॉरफोसिस: लिविंग विथ दी पेंडमिक' है। कांफ्रेंस का उद्घाटन आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमाँशु राय ने किया। इसमें 400 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कांफ्रेंस के प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए प्रो. राय ने कहा कि सैरी 2021 का उद्देश्य महामारी के बीच प्रबंधन शिक्षा में चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना है। उन्होंने कहा कि इस बार, 'अनुसंधान उत्कृष्टता के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' भी पेश किया जाएगा, जिसे कांफ्रेंस के अंतिम दिन, 20 जून, 2021 को घोषित किया जाएगा।
पहले दिन का मुख्य आकर्षण चार आईआईएम के निदेशक - प्रोफेसर भरत भास्कर, निदेशक, आईआईएम रायपुर; प्रो. पवन कुमार सिंह, निदेशक, आईआईएम तिरुचिरापल्ली; प्रो. ऋषिकेश टी. कृष्णन, निदेशक, आईआईएम बैंगलोर और प्रो. शैलेंद्र सिंह, निदेशक, आईआईएम रांची के साथ पैनल डिस्कशन रहा; जिन्होंने 'प्रबंधन शिक्षा: कोविड की चुनौतियां' विषय पर अपने विचार साझा किए। सत्र का संचालन प्रो. हिमाँशु राय ने किया। प्रो. राय ने कहा कि कोविड ने सभी के जीवन और शिक्षा सहित, हर क्षेत्र पर प्रभाव डाला है। 'हमें ऑफलाइन से ऑनलाइन मोड में काफी बदलाव करना पड़ा ताकि छात्रों की पढाई में कोई दिक्कत न हो। महामारी ने मुझे दया और सहानुभूति का भाव सिखाया - यह समझया कि यदि शैक्षणिक संस्थानों में प्रौद्योगिकी के अनुकूल होने की सुविधा है, तो यह आवश्यक नहीं है कि दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्र भी इस बदलाव के साथ सहज होंगे। हो सकता है कि उनके पास सुविधाएं न हों और हमारे द्वारा दी गयी शिक्षा की गति के साथ वे भी शिक्षा ग्रहण कर सकें , हो सकता है उनके पास उपकरण न हों। हमने सुनिश्चित किया कि सभी कक्षाएं रिकॉर्ड की जाएँ और इन छात्रों को उपलब्ध हों, ताकि वे पढाई में पीछे न रहें', उन्होंने कहा।
प्रो. भरत भास्कर ने कहा कि सभी उद्योग अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की ओर बढ़ रहे हैं। 'चुनौती प्रौद्योगिकी में वृद्धि नहीं है, बल्कि चुनौती यह है कि हम प्रौद्योगिकी के साथ तेजी से आगे बढ़ने में सक्षम नहीं हैं। हमें एक समाधान खोजने की जरूरत है ताकि रोबोट, इंसान और ह्यूमनॉइड सह-अस्तित्व में रह सकें', उन्होंने कहा।
प्रबंधन शिक्षा के बारे में प्रो. पवन कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में चुनौतियां महामारी से पहले भी मौजूद थीं, इसलिए यह उन चुनौतियों के समाधान को अद्यतन करने का भी समय है। 'ऑफ़लाइन और ऑनलाइन शिक्षा दोनों में चुनौतियां हैं। लेकिन शिक्षण संस्थानों को उन समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है जिनका हम लंबे समय से सामना कर रहे हैं और छात्रों को इस तरह से कौशल विकसित करना चाहिए कि वे बदलती दुनिया का सामना करने में सक्षम हों।
प्रो. ऋषिकेश टी. कृष्णन ने डिजिटल परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया और बताया कि डेटा में वृद्धि हमें बेहतर शोध में कैसे मदद करेगी। 'अब हमारे पास प्रचुर मात्रा में डेटा है और हम डेटा एनालिटिक्स के महत्व को समझते हैं। इसलिए, डेटा प्रौद्योगिकी के साथ, शैक्षणिक संस्थानों को अब अधिक विशिष्ट और तकनीक संचालित कार्यक्रम प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, उन्होंने कहा।
प्रो. शैलेंद्र सिंह ने महामारी के बीच विभिन्न विनिमय कार्यक्रमों में छात्रों की घटती संख्या के बारे में बात की। 'शैक्षिक संस्थानों को अब एक संशोधित पाठ्यक्रम प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जो छात्र के कौशल को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने हमें अवसरों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया है और यह सोचने के भी समय दिया है कि प्रकृति ने हमें न सिर्फ जीवित रखा बल्कि समय के साथ विकसित भी किया है।
पहले दिन चार कार्यशालाएं भी हुईं, जिन्होंने प्रतिभागियों को अपने शोध और प्रकाशन कौशल विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान किया। ओज़ीगिन विश्वविद्यालय के प्रो. अबरार अली सैय्यद द्वारा पेपर डेवलपमेंट पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रो. अंजन घोष, नारक्सोज़ बिजनेस स्कूल, निदेशक-पॉल आर. लॉरेंस फैलोशिप के निदेशक मंडल द्वारा ‘उद्यमिता पर केस रिसर्च’ पर कार्यशाला आयोजित हुई। प्रोफेसर अभिषेक श्रीवास्तव, आईआईएम काशीपुर द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में प्रकाशन युक्तियों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें उन्होंने प्रतिभागियों के साथ अपने प्रकाशन कौशल को बढ़ाने के लिए कुछ व्यावहारिक सुझाव साझा किए। चौथी कार्यशाला प्रायोगिक अनुसंधान पर आयोजित की गई, जिसमें प्रो. सुदीप्त मंडल, संकाय, आईआईएम इंदौर ने प्रतिभागियों को प्रायोगिक अनुसंधान की बारीकियों से अवगत कराया।
सम्मेलन का पहला दिन प्रतिभागियों के बीच बहुत उत्साह के साथ संपन्न हुआ।
कार्यशाला के दूसरे दिन प्रोफेसर श्रीनिवास गुंटा, आईआईएम इंदौर द्वारा केस टीचिंग पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। 'प्रबंधन में अनुसंधान पर कोविड का प्रभाव' विषय पर एक सत्र भी होगा।