- दोनों संस्थानों के लिए एक्सचेंज और सहयोग कार्यक्रम स्थापित करने का उद्देश्य
- एमसीटीई में आने वाले विदेशी छात्रों के लिए समकालीन प्रबंधन कौशल में कैप्सूल कोर्स बनाएगा आईआईएम इंदौर
- आईआईएम इंदौर बिग डेटा एनालिटिक्स और प्रीडिक्टिव एनालिटिक्स आधारित समस्या समाधान के क्षेत्र में अनुसंधान में सहायता प्रदान करेगा
आईआईएम इंदौर ने 18 फरवरी, 2021 को मिलिट्री कॉलेज ऑफ़ टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई), महू के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए । तीन साल की अवधि के लिए मान्य इस एमओयू पर प्रोफेसर हिमाँशु राय, निदेशक, आईआईएम इंदौर और लेफ्टिनेंट जनरल एम.यू. नायर, एसएम, कमांडेंट, एमसीटीई, महू ने हस्ताक्षर किए ।
यह उल्लेख करते हुए कि सेना के साथ यह पहला समझौता ज्ञापन है, प्रोफेसर राय ने कहा कि यह मूल्यवान साबित होगा और रक्षा, शिक्षा और उद्योग के बीच घनिष्ठ सहयोग को प्रोत्साहित करेगा । ‘यह साझेदारी दोनों संस्थानों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी रहेगी । एमसीटीई के लिए, यह प्रबंधन अध्ययन के क्षेत्र में संकाय और आईआईएम इंदौर के रिसर्च एक्सपर्ट की विशेषज्ञता का लाभ उठाने का अवसर होगा । वहीं, आईआईएम इंदौर के संकाय सदस्यों के लिए, यह प्रासंगिक अनुसंधान और विकासात्मक गतिविधियों में व्यावहारिक वास्तविकता से जुड़ने का अवसर प्रदान करेगा जिससे उन्हें अपने विषयों में और अधिक विशेषज्ञता प्राप्त होगी’, उन्होंने कहा ।
लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने आईआईएम इंदौर के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की । उन्होंने बताया कि एमसीटीई हर वर्ष 10 से 12 देशों के लगभग 20-30 विदेशी छात्रों की मेजबानी करता है । आईआईएम, इंदौर द्वारा इन विदेशी छात्रों के लिए तैयार किए गए समकालीन प्रबंधन कौशल में स्मॉल कैप्सूल कोर्स सभी देशों के बीच अच्छे संबंधों को बढ़ावा देने में में मदद करेंगे । उन्होंने कहा कि सहयोग दोनों संस्थानों के लिए एक्सचेंज या सहयोग कार्यक्रमों में भी मदद करेगा और संयुक्त अध्ययन, अनुसंधान और प्रशिक्षण गतिविधियों द्वारा दोनों संस्थानों के बीच पारस्परिक हित के अन्य शैक्षिक आदान-प्रदान के विकास को बढ़ावा देगा ।
यह एमओयू संयुक्त अनुसंधान, संयुक्त मामले के अध्ययन, बिग डेटा एनालिटिक्स पर विशेष ध्यान देने के साथ और आईआईएम इंदौर द्वारा प्रदान की गई सहायता और विशेषज्ञता के साथ प्रिडिक्टिव एनालिटिक्स आधारित समस्या परिभाषाओं के कार्यान्वयन पर भी ध्यान केंद्रित करेगा । इसके तहत परियोजना दिशानिर्देशों, संयुक्त कार्यशालाओं, सेमिनार को भी प्रोत्साहित किया जाएगा ।