- सहयोग नीति निर्माण और गुड गवर्नेंस इंडेक्स रैंकिंग पर केंद्रित है यह एमओयू
- आईआईएम इंदौर बनाएगा लोक प्रशासन और सुशासन में संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए पूर्वापेक्षाओं में से एक विश्वसनीय और प्रभावी राज्य संस्थान और सार्वजनिक सेवाएं हैं, जो कुशल हों, सभी के लिए सुलभ हों और अच्छी गुणवत्ता वाली हों। अब यह व्यापक है कि दुनिया भर के देश गरीबी और सामाजिक विघटन सहित आज जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनमें से कई समस्याएं राज्य की क्षमता में कमी के कारण हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर (आईआईएम इंदौर) ने 09 अगस्त, 2021 को राष्ट्रीय सुशासन केंद्र, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, भारत सरकार (NCGG-DARPG) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। प्रो. हिमाँशु राय, निदेशक, आईआईएम इंदौर और श्री वी. श्रीनिवास, अतिरिक्त सचिव और महानिदेशक, एनसीजीजी द्वारा ऑनलाइन मोड में इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। प्रो. प्रशांत सलवान, चेयर, इंडस्ट्री इंटरफेस ऑफिस और फैकल्टी, आईआईएम इंदौर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
यह सहयोग भारत सरकार को लोक प्रशासन, सुशासन में बेहतरीन प्रथाओं को अपनाने में मदद करने पर केन्द्रित है और भारतीय राज्यों को सुशासन सूचकांक (जीजी इंडेक्स/Good Governance Index) में अपनी रैंकिंग को अपग्रेड करने और कुशल और उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने में मदद करेगा।
इस अवसर पर प्रो. हिमाँशु राय ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के लिए सुशासन के पांच स्तंभ हैं वहां के नागरिक, भौगोलिक भूमि, कानून और अधिकार क्षेत्र, शासी प्रणाली और संसाधन। 'हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि राष्ट्र के लोगों के पास एक सामूहिक दृष्टि हो और उन्हें यह पता हो कि वे किस तरह के देश में रहना चाहते हैं। आईआईएम इंदौर और एनसीजीजी का एक मजबूत मिशन और एक दृष्टि है; और यह सहयोग उस विजन को इस तरह मजबूत करने का एक प्रयास है, जिससे कि यह देश के सभी लोगों का विजन बन जाए’। उन्होंने कहा कि कानून और अधिकार क्षेत्र को मजबूत करना भी एक मजबूत शासन प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह राष्ट्र की संस्कृति को दर्शाता है। 'हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि शासी प्रणालियां स्पष्ट हों, पारदर्शी हों और ऐसे परिणाम प्राप्त करने में सक्षम हों जिनकी प्रभावी रूप से निगरानी भी की जाती हो। उन्होंने कहा कि यह देश के युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने और मानव संसाधनों के प्रबंधन का समय है और इसके लिए हमें इन पांच स्तंभों को मजबूत करने और एक साझा दृष्टिकोण हासिल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य लोक प्रशासन और सुशासन में डिग्री प्रदान करने वाले कार्यक्रमों की पेशकश करना, संयुक्त अनुसंधान की गतिविधियों को बढ़ावा देना और संकाय विशेषज्ञों को संयुक्त परामर्श अनुसंधान परियोजनाओं में भी भाग लेने का अवसर प्रदान करना है।’
श्री वी. श्रीनिवास ने आईआईएम इंदौर के साथ सहयोग करने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। 'शासन अब केवल नियामक नहीं है, बल्कि इसमें पीपीपी मॉडल और विभिन्न नई सरकारी प्रक्रियाओं के उद्भव के साथ, नई प्रबंधन अवधारणाएं भी विकसित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि सहयोग का उद्देश्य अकादमिक कर्मचारियों और छात्रों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना, विभिन्न प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए संयुक्त कार्यक्रमों की पेशकश करना और उन्हें प्रबंधन सिद्धांतों को सीखने में मदद करना है। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन संयुक्त पहल, नीति निर्माण और सरकारी कार्यों के लिए सहयोग करके राज्यों की हमारी सुशासन रैंकिंग को बढ़ाने पर भी केंद्रित है।
प्रो. प्रशांत सलवान ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तन सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने में योगदान करते हैं। वे सामाजिक गतिशीलता और चुनौतियों के प्रबंधन में सरकारी संगठनों की समस्या-समाधान क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करते हैं। 'दुनिया भर में नागरिकों की उम्मीदें बढ़ रही हैं, जो सरकार पर कुशल और उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक सेवाएं देने का दबाव डालती हैं। सार्वजनिक सेवा प्रदाताओं को लागत प्रभावी, जवाबदेह और अपने नागरिकों उत्तम सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनना होगा, और इसी से वे नागरिक केंद्रित बन सकेंगे', उन्होंने कहा।
समझौता तीन साल की अवधि के लिए वैध होगा। इस अवसर पर डॉ. पूनम सिंह, एनसीजीजी ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।