तीन दिवसीय आईआईएम इंदौर NASMEI 2019 ग्रीष्मकालीन विपणन और सूचना प्रणाली सम्मेलन 28 जुलाई, 2019 को संपन्न हुआ। सम्मेलन में तीन पूर्व-सम्मेलन कार्यशालाएं, 13 ट्रैक पर 300 से अधिक पेपर प्रेजेंटेशन और एक पैनल डिस्कशन हुआ।
सम्मेलन के तीसरे दिन प्रो. आशुतोष दीक्षित, मोंटे आहूजा कॉलेज ऑफ बिजनेस, क्लीवलैंड; प्रो. सतीश नरगुंडकर, जे मैक रॉबिन्सन कॉलेज ऑफ बिजनेस जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी और प्रो. संजय गौर, सनवे यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल, मलेशिया अतिथि के रूप में मौजूद थे।
कार्यक्रम की शुरुआत आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु राय के संबोधन से हुई। उन्होंने सम्मेलन के आयोजन के लिए आयोजन समिति को बधाई दी। उन्होंने कहा कि शोधकर्ता उत्सुक रहते हैं, कि शोध के सही और गलत तरीके के बीच अंतर कैसे किया जाए - आसान तरीका गलत हो सकता है, लेकिन हमेशा आकर्षक होता है। ईशोपनिषद से सीख साझा करते हुए, उन्होंने कहा कि विवेक व्यक्ति को सही और गलत के बीच के अंतर को पहचानने में मदद करता है। 'मेरा मानना है कि अगर आप कुछ भी करते हैं और आप शर्म महसूस करते हैं, या डर जाते हैं या इसे लेकर भ्रम की स्थिति में रहते हैं, तो कभी भी वो काम न करें- लज्जा, भाय या शंका होने पर कुछ भी करना गलत है', उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि FIRE (भाग्य, पहचान, प्रतिबिंब और समरूपता) सही दिशा की ओर ले जाता है। ‘हिम्मत रखो, उसूलों से रहो, अपने आंतरिक आत्म और सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करो और याद रखो कि कुछ भी हमेशा के लिए तुम्हारा नहीं है। आप इस FIRE को बार-बार अभ्यास करके प्राप्त कर सकते हैं ', उन्होंने कहा। उन्होंने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा कि आने वाले समय में, केवल वही नेता पनपेगें जो न केवल सही काम करते हैं, बल्कि जो सही तरीके से सही काम करते हैं।
इसके बाद प्रोफेसर सतीश नरगुंडकर ने एक संबोधन दिया। उन्होंने 'एनालिटिक्स रिजल्ट्स टू एक्जिक्यूटिव' पर बात करते हुए कहा कि विश्लेषिकी पेशेवर आमतौर पर सरल भाषा में समझाने में विफल रहते हैं कि वे आखिर कहना क्या चाहते हैं। शोधकर्ताओं के लिए भी यही सच है। उन्होंने एक सरल और आसान प्रस्तुति देने के लिए तीन युक्तियों को साझा किया। ये टिप्स हैं- काम की बात कम शब्दों में बोलो, ख़ास बात सबसे पहले बोलो और चार्ट में सरल भाषा का उपयोग करो। उन्होंने कहा कि हमें इस बात को समझने की जरूरत है कि हम क्या पेश कर रहे हैं या किस बारे में बात कर रहे हैं और हमारे दर्शकों को सुनने में क्या दिलचस्पी है।
इसके बाद प्रोफेसर संजय सिंह गौर ने भी चर्चा की, जिन्होंने डिजिटल युग में स्मार्ट मार्केटिंग पर प्रौद्योगिकी और विघटनकारी विपणन पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने विभिन्न वीडियो दिखाते हुए बताया कि कैसे प्रौद्योगिकी- विपणन और व्यवसाय को बढ़ा रही है। चर्चा की गई प्रौद्योगिकी की छह श्रेणियां - कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 3 डी प्रिंटिंग, संवर्धित वास्तविकता, ब्लॉक चेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और रोबोटिक्स थीं।
आखिर में प्रोफेसर आशुतोष दीक्षित ने चर्चा की, जिन्होंने मार्केटिंग में स्ट्रैटेजी और एप्लीकेशन्स ऑफ इंटेलिजेंट एजेंट टेक्नोलॉजीज पर विचार साझा किये। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी में क्रांति है और इसलिए विपणन भी आगे बढ़ रहा है। ‘हमें यह समझने की आवश्यकता है कि विपणन करते समय और शोध करते समय दोनों के बीच क्या सम्बन्ध है। मार्केटर के रूप में हमें यह पता लगाने की ज़रूरत है कि हमारे ग्राहक क्या चाहते हैं, और एक शोधकर्ता के रूप में हमें यह समझने की ज़रूरत है कि हमारा शोध लक्ष्य के लिए कितना उपयोगी होगा। ' उन्होंने कहा।
सत्र का समापन प्रोफेसर राजेंद्र नरगुंडकर, सम्मेलन सह अध्यक्ष और संकाय, आईआईएम इंदौर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। तीन दिवसीय सम्मेलन रविवार को समाप्त हो गया, जिसमें भारत और विदेश के रिसर्च स्कॉलर्स को एक मंच प्रदान किया गया, ताकि वे विपणन और सूचना प्रणालियों से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा कर सकें।