- 100 से अधिक रिसर्च स्कॉलर ऑनलाइन और हाइब्रिड मोड में पेपर प्रस्तुत करेंगे
- हाइब्रिड मोड में दो साल बाद आयोजित इस सम्मेलन में होंगी विभिन्न कार्यशालाएं और एक्सपर्ट सेशन
अनुसंधान और शिक्षा में उत्कृष्टता पर सम्मेलन – सीईआरई का 12 वां संस्करण 03 जून, 2022 को आईआईएम इंदौर में शुरू हुआ। तीन दिवसीय सम्मेलन इस बार हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जा रहा है। आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमाँशु राय ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। प्रो. अभिषेक मिश्रा, चेयर - एफपीएम, आईआईएम इंदौर; और प्रो. विवेक सुनेजा, डीन- एफएमएस दिल्ली भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
प्रो. राय ने चर्चा की, कि कैसे डिजिटल परिवर्तन के बीच नेतृत्व कला में भी परिवर्तन लाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से शिक्षा और अनुसंधान के सन्दर्भ में। उन्होंने कहा कि शुरुआत में बिजनेस स्कूलों ने अपने छात्रों के व्यावसायिक कौशल और प्रबंधन कौशल को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन अब शैक्षणिक संस्थानों के लिए डिजिटल परिवर्तन के अनुकूल होने और प्रबंधन और नेतृत्व के मूलभूत आधार पर ध्यान केंद्रित करने का सही समय है। 'हमें शिक्षाविदों के रूप में अब ज्ञान बनाने, उसे और भी विकसित करने और उसका प्रसार करने पर ध्यान देने की जरूरत है। यह समय है कि हम शैक्षणिक संस्थानों के रूप में जो भी ज्ञान देते हैं उसका हम स्वयं भी अभ्यास करना शुरू करें और उसे हर क्षेत्र में लागू करें - शिक्षा, अनुसंधान, सरकार, प्रशासन, आदि।', उन्होंने कहा। डिजिटल दशक ने हमें एक ऐसी दुनिया में पहुंचा दिया है जहां विद्यार्थी अब स्वयं चुनते हैं कि वे कैसे, कब और क्या पढ़ना चाहते हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से मात्र उत्तर खोजने की जिज्ञासा को बढ़ाने के साथ ही अब हमें बी-नो-डू फ्रेमवर्क (Be-Know-Do Framework), अर्थात हम क्या हैं, क्या करते हैं, स्वयं को और अन्य सभी को कितना जानते हैं, को समझकर इसे आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने सम्मेलन के प्रतिभागियों को सभी के प्रति 'संवेदनशील' होने का सुझाव दिया। 'हमारा कार्य न केवल उद्योग की आवश्यकताओं को समझना है बल्कि उद्योग को शिक्षित करना भी है। विद्वानों और शिक्षकों के रूप में, हमें सिर्फ अनुसंधान करने और उनकी समस्याओं के समाधान खोजने के बजाय, उद्योग के निर्णयों को चुनौती देने की भी आवश्यकता है, उन्होंने कहा। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें अपनी असली पहचान 'जानने' की जरूरत है, और यह भी, कि हम किसके बारे में भावुक और जुनूनी हैं। 'एक इंसान के रूप में, हम अक्सर जल्दबाजी में सफलता प्राप्त करने के लिए ललचाते हैं। लेकिन सुनिश्चित करें कि हम हमेशा सही काम करें। कभी भी निर्णय लेते समय आपको डर या शर्म महसूस हो, या आपके मन में कोई संदेह हो – तो वह कार्य न करें', उन्होंने कहा।
प्रो. सुनेजा ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस ने हमारे जीवन को प्रभावित तो किया है, लेकिन यह केवल 'कृत्रिम' ही है। 'मेरे हिसाब से बुद्धि और रचनात्मकता का जुड़ाव अटूट है। किसी तंत्र में शैली को पहचानने की क्षमता ‘इंटेलिजेंस’ है। उन्होंने कहा कि याद रखने की क्षमता स्मृति है और दोहराने की क्षमता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है। मनुष्य के पास खोज करने और आविष्कार करने की अंतर्निहित शक्ति है। एक मशीन कभी भी इंसान की तरह बुद्धिमान नहीं हो सकती। भले ही मशीनें हमारी अधिकांश नौकरियों में हमारी जगह ले सकती हैं, जिनमें से अधिकांश हमारे जीवन को आसान भी बनाती हैं, वे कभी भी हमारे जैसे बुद्धिमान नहीं हो सकतीं। 'बुद्धि आध्यात्मिक है, और केवल हम मनुष्य ही इसे महसूस कर सकते हैं। माना जाता है कि मानव द्वारा आविष्कृत प्रौद्योगिकी हमारे जीवन में आराम प्रदान करती है। लेकिन आज, उन्हीं में से एक, सोशल मीडिया हमें स्वतंत्रता देने के लिए बनाया गया था, मनोरंजन के लिए था, किन्तु अब हम इसकी वजह से चिंतित रहने लगे हैं। यह समय है जब हम रचनात्मकता विकसित करें, नयी खोज करें और आविष्कार करें। ‘आइए, हम डिजिटल दशक को नियंत्रित करने वाले बनें और इसका उपयोग न केवल अपनी बेहतरी के लिए बल्कि एक स्थायी और न्यायसंगत दुनिया बनाने के लिए भी करें’ उन्होंने कहा।
सम्मलेन के पहले दिन तीन वर्कशॉप भी हुईं। प्रो. बिपुल कुमार, फैकल्टी, आईआईएम इंदौर, ने ग्रंथ सूची विश्लेषण (Bibliometric Analysis) पर अंतर्दृष्टि दी। दूसरी कार्यशाला प्रो. अरविंद सहाय, मार्केटिंग, आईआईएम अहमदाबाद द्वारा आयोजित की गई थी, जिसका विषय था - ऑनलाइन ब्रांडिंग के लिए न्यूरोसाइंस के अनुप्रयोग। दिन की तीसरी कार्यशाला 'उच्च शिक्षा के संदर्भ में ई-लर्निंग में चुनौतियों पर काबू पाने' पर केंद्रित थी। इसका संचालन एनवाईयू स्कूल ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के प्रो. सोनजया एस. गौर ने किया।
पहले दिन देश भर से चयनित रिसर्च स्कॉलर द्वारा विभिन्न पेपर प्रस्तुतियां भी हुईं। सम्मेलन के दूसरे दिन बिग डेटा, डेटा एनालिसिस, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और ई-बिजनेस से लेकर विविध विषयों पर विभिन्न कार्यशालाएं भी होंगी।