जेन गुडॉल रूट्स एंड शूट्स आईआईएम इंदौर चैप्टर का उद्घाटन आईआईएम इंदौर में 29 जनवरी, 2020 को किया गया। संस्थान के मिशन के समान, रूट्स एंड शूट्स आईआईएम इंदौर चैप्टर युवाओं को समुदाय में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सशक्त बनाने पर केंद्रित है। इसका उद्घाटन आईआईएम इंदौर के निदेशक, प्रोफेसर हिमांशु राय, सुश्री श्वेता खरे, कंट्री कोऑर्डिनेटर, रूट्स एंड शूट्स इंडिया; डॉ. राहुल बनर्जी, शहरी जल प्रबंधन विशेषज्ञ और प्रोफेसर स्नेहा थपलियाल, सहायक प्रोफेसर, आईआईएम इंदौर द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।
प्रोफेसर थपलियाल ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आज हम में से अधिकांश पर्यावरणीय चिंताओं से अवगत हैं, लेकिन हम अक्सर व्यक्तिगत स्तर की कार्रवाई के लिए पर्याप्त रूप से संवेदनशील नहीं होते हैं। “हमें तीन चीजों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है - राष्ट्र के नागरिक होने के नाते या इस संसार में रहने के नाते हमारी भूमिका; एक शैक्षणिक संस्थान के सदस्य के रूप में हमारी भूमिका और व्यक्तिगत रूप में हमारी भूमिका - किस प्रकार से पर्यावरण में स्थिरता ला सकती है' , उन्होंने कहा।
इसके बाद प्रोफेसर राय द्वारा उद्घाटन भाषण दिया गया। उन्होंने वर्ष 1750-2018 से कार्बन उत्सर्जन के बारे में अपनी चिंताओं और जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभावों को साझा किया। उन्होंने कहा, हमें FIRE - फियर, इनएक्शन, रिलेशनशिप इशू और ईर्ष्या यानि एनवी को दूर करना होगा। सभी राष्ट्रों की नींव को निर्वाह, शांति और नैतिक नेतृत्व पर बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा, सभी पर्यावरणीय मुद्दों का समाधान एक साथ मिलकर खोजा जाना चाहिए। उन्होंने बताया की आईआईएम इंदौर एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण में भी योगदान दे रहा है। “भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आप आज क्या करते हैं। आत्म सुधार की तलाश करें। पता करें कि आप किसके बारे में भावुक और संवेदनशील हैं। अपने कार्यों की जिम्मेदारी लें। आप एक छोटे से एक प्रांत के स्तर पर भी अगर पूरी क्षमताओं के साथ काम करना शुरू कर सकते हैं तो उससे बेशक पड़ाव पड़ेगा”, उन्होंने कहा।
सुश्री श्वेता खरे ने कहा कि भले ही देश प्रगति कर रहा हो, शहर साफ-सुथरे हैं - इंदौर सबसे साफ है; लेकिन अभी भी लोगों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। 'जलवायु परिवर्तन ने मौसम को भी प्रभावित किया है। भारी बारिश वाले स्थानों में और अधिक बारिश हो रही है और शुष्क भूमि अभी भी सूखी ही हैं।' उन्होंने कहा। उन्होंने कहा कि कई पर्यावरणीय कारक हैं जो वर्तमान जीवन को प्रभावित कर रहे हैं और भविष्य में भी समस्याएं पैदा करेंगे। उन्होंने समझाया कि हमें अपने व्यवसायों या संगठनों के माध्यम से नए हल की तलाश करने की जरूरत है, जो न केवल पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करें बल्कि समाज को बेहतर तरीके से जीने में योगदान दे। 'आपका योगदान महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि आप कुछ नहीं करते हैं, तो हमारी पीढ़ी आगे बढ़ेगी और किसी को इस रहने योग्य ग्रह का संरक्षक होना चाहिए। आप इस विरासत के उत्तराधिकारी हैं। आप इस ज़िम्मेदारी के भी वारिस हैं ', उन्होंने कहा।
श्री राहुल बनर्जी ने भारत में केंद्रीकृत शहरी जल प्रबंधन और विकेंद्रीकरण की आवश्यकता के बारे में एक प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि अपशिष्ट जल को निपटाने की तुलना में पानी की आपूर्ति ज्यादा बड़ी चुनौती नहीं है। ‘लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि अपशिष्ट जल का क्या करना है। अनुपचारित सीवेज के पानी से गंभीर परिणाम होते हैं और सकल घरेलू उत्पाद का 5.2% का नुकसान भी होता है। उन्होंने कहा कि हमें काले पानी और ग्रे पानी को अलग करने या गैर-पीने योग्य अनुप्रयोगों के लिए उपचारित सीवेज को पुन: उपयोग करने के प्रयासों में लगाने की जरूरत है। उन्होंने यह कहकर अपनी बात समाप्त की कि हमें उचित अपशिष्ट जल प्रबंधन के साथ-साथ स्वच्छता की जरूरतों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
आईआईएम इंदौर का मिशन प्रासंगिक रहना है और हर संभव तरीके से राष्ट्र निर्माण में योगदान देना है - जिसमें पर्यावरण का ध्यान रखना और 'ग्रीन’ गतिविधियों को प्रोत्साहित करना शामिल है। आईपीएम प्रतिभागियों ने परिसर में विभिन्न पर्यावरणीय स्थिरता संबंधी प्रयासों को प्रदर्शित करते हुए इस मौके पर तीन दिलचस्प प्रेजेंटेशन दिए ।
आईआईएम इंदौर के एक मेस में पांच सौ से अधिक छात्र-छात्राएं भोजन करते हैं। इस मेस में पानी की खपत को मापने का उद्देश्य उच्च नल के एयरटैटर्स का उपयोग करके पानी की खपत में परिवर्तन की जांच करना था। टीम को यह बताते हुए खुशी हुई कि इन नए नल को स्थापित करने के एक सप्ताह के भीतर ही पानी की खपत घटकर आधी हो गई। यह परियोजना सरकार के जल संरक्षण अभियान - जल शक्ति के कार्यान्वयन की योजना के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट है । रूट्स एंड शूट्स आईआईएम इंदौर चैप्टर की योजना कैंपस की सीमाओं से परे 'वाटर मैटर्स' अभियान शुरू करने की भी है।
पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रदूषण एक बड़ी चिंता का विषय है और इसीलिए छात्रों की दूसरी टीम ने परिसर में वायु प्रदूषण के स्तर का पता लगाने पर काम किया। टीम ने हवा की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स बेस्ड डिवाइस (Arduino) का इस्तेमाल किया। उन्होंने विभिन्न प्रदूषकों को मापने के लिए फ़िल्टर जोड़े और वायु गुणवत्ता डेटा को IoT प्लेटफ़ॉर्म पर अपलोड किया, जिसे किसी भी उपकरण द्वारा आसानी से देखा जा सकता है। परिसर में विभिन्न बिंदुओं पर डेटा के संग्रह पर, उन्होंने परिसर के अंदर हवा की गुणवत्ता को परिसर के ठीक बाहर की हवा से दोगुना साफ पाया।
आईआईएम इंदौर हाल ही में एक प्लास्टिक-मुक्त परिसर बन गया है, जिसमें एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक की बोतलों, डिस्पोजल, बैग्स आदि का उपयोग प्रतिबंधित है। छात्र भी फेस्ट के दौरान 'ग्रीन पीआर' गतिविधियों का संचालन करते हैं। तीसरी टीम ने अर्थमितीय मॉडल का उपयोग किया, यह दिखाने के लिए कि ग्रीन पीआर ने अपने नॉन-ग्रीन एक्टिविटी की तुलना में कॉलेज के उत्सवों में अधिक भागीदारी देखी।
कल की गतिविधियों में परिसर में बर्डवॉचिंग, और वॉल आर्ट और पेपर बैग बनाना शामिल हैं। एक छात्र प्रतियोगिता भी है - पैनेशिया - जहां छात्र उन विषयों के लिए समाधान प्रस्तुत करेंगे जिन्हें वे सबसे अधिक सामाजिक या पर्यावरणीय मुद्दा मानते हैं।